Sphatik Mala ke labh aur Pehchan | स्फटिक माला के 11 लाभ और पहचान

 स्फटिक माला के लाभ और पहचान


स्फटिक का परिचय :

स्फटिक माला के बारे में आप शायद जानते होंगे। स्फटिक माला रंगहीन बिल्कुल कांच के सामान दिखने वाला पारदर्शी पत्थर होता है। इसकी प्रवत्ति अधिक ठंडी होती है। इसे माता लक्ष्मी और पंचमुखी ब्रम्हा का स्वरूप माना जाता है। इसको सफ़ेद बिल्लोर,शिवप्रिय,कांचमणि और फिटक कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे रॉक क्रिस्टल तथा संस्कृत में इसे सितोपल कहा जाता है।

यह बर्फ के निचे टुकड़ो के रूप में पाया जाता है।यह सिलिकॉन व आक्सीजन के चतुष्फ़ली से संगठन से बना होता है इसका अणुसूत्र SiO2  है। यह फिटकरी की तरह तथा अधिक शुद्ध कांच के सामान चमकदार दिखाई देता है।

पहचान:

स्फटिक मालाबाजार में अभी चाइनीस क्रिस्टल आ गया है जो बिल्कुल स्फटिक की तरह ही दिखता है।इसमें कोई अंतर समझ नहीं आता है और दुकानदार अक्सर कांच की माला साधकों को थमा देता है। समस्या तब आकर खड़ी हो जाती जब साधकों को असफलता,निराशा और नुकसान का सामना करना पड़ता है। देखा गया है, दुकानदार को खुद ही स्फटिक नकली या असली की पहचान नहीं होती तो भला उन्हें दोषी भी केसे केह सकते है।

ज्यादा सवाल करने पर सामने आता है बड़ा खुलासा “असली स्फटिक माला बहुत मंहगी मिलती है”। आपको बताना चाहेंगे कि यह कहने वाले और लेख लिखने वालो को भी सायद नहीं पता कि स्फटिक बहुत प्रचुर मात्रा में प्रथ्वी पर मौजूद है। जब प्रचुर मात्रा में उपलब्ध खनिज पत्थर है तो वह महंगा कैसे हो सकता है।

हमने एक लेख पड़ा था जिसमे यह दावा किया जा रहा है की स्फटिक माला में बादल के सामान आकृतियाँ होती है,उसकी बनावट एक जैसी नहीं होती है, और भी बहुत कुछ। स्फटिक माला को पहचानना इतना कठिन भी नहीं होता है। बहुत ही सरल तरीको से आप इसे जान पाएंगे। इसका विडियो भी हमारे youtube पर डाला हुआ है :

पहचान करने का सरल तरीका :

    • मार्केट में खरीदते वक्त ध्यान रखे जो माला आप ले रहे है वह असली है? आपको ध्यान देना है की प्लास्टिक हल्का होता है और वहीँ कांच भी हल्का भारी होता है। आप अगर अंदाजा लगाना चाहे तो स्फटिक पत्थर होने की वजह से इन दोनों की अपेक्षा अधिक भारी रहेगा।
    • प्लास्टिक वातावरण को समझने में कमजोर होता है इसके कारण वह ठण्डा गर्म नहीं लगता है।  लेकिन कांच वातावरण के अनुसार हल्का ठण्डा होता है।  इसमें अगर आप ध्यान रखे तो स्फटिक की प्रकृति अधिक ठंडी होती है, यह वातावरण से अधिक ठण्डा आपको हाथ में लेने पर लगेगा।
    • यह सबसे आसान तरीका स्फटिक की पहचान करने का है क्योंकि आजकल चाइनिस क्रिस्टल मार्केट में होने की वजह से बिल्कुल दिखने में स्फटिक जेसे लगते है। अँधेरे में अगर आप  इसके मनको (beads) को रगड़ेंगे तो इसमें चिंगारी निकलती है।

स्फटिक माला के लाभ

शास्त्रों में इसके बहुत लाभ बताये है जिसमे मुख्यतः निम्नलिखित है

  1. मान्यता है कि इसे पहेनने वाले को  भुत-प्रेत,तंत्र,मंत्र आदि की बाधा नहीं होती है।
  2. स्फटिक माला से देवी मंत्र जप करने से सीघ्र फलदायी होती है।
  3. स्फटिक माला को धारण करने से सुख,शांति और धेर्य बना रहता है।
  4. स्फटिक माला  बिमारियों से बचाता है और व्यक्ति को स्वस्थ रखता है।
  5. ज्योतिष की माने तो स्फटिक माला को धारण करने पर धन,संपत्ति,बल,यश और रूप प्राप्त होता है।इससे दुःख और दरिद्रता का नाश होता है।
  6. इसे साक्षात् माता लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है जिसके कारण माता लक्ष्मी की कृपा जातक पर बनी रहती है।
  7. शास्त्रों में वर्णित है स्फटिक माला को  देवता सोभाग्य प्राप्ति के लिए पहेंते है। अगर   मानव जाती भी इसे धारण करे तो सभाग्य   की   प्राप्ति होती है।
  8. यह सुक्र गृह आशीर्वाद पूर्ण रत्न होता है। इसको धारण करने   वाला व्यक्ति शुक्र ग्रहदोष से मुक्त रहने के साथ आकर्षित  व्यक्तित्व वाला  होता है। विवाहिक जीवन में सुख, वीर्यवान पुरुष के गुण आते है।
  9. यह गुस्से को शांत रखता है और सूझ-बुझ की क्षमता का विकास करता है।
  10. बुखार आने पर इसे पानी में धोकर नाभि पर रखने से बुखार उतर जाता है। ब्लड प्रेसर के मरीज को पहनाने से ब्लड प्रेसर सामान्य रहता है।
  11.  सोमवार को धारण करने से शांति की प्राप्ति होती है, सिरदर्द खत्म होता है। शुक्रवार को धारण करने से लक्ष्मी प्राप्ति ,आकर्षण,विवाह की   बाधा का निवारण, सेक्स सम्बंधित बिमारियों का   निवारण, शुक्र ग्रहदोष निवारण के साथ कृपा द्रष्टि   होती है। शनिवार को धारण करने से  रक्त सम्बंधित बिमारियों का नाश होता है।  

 

नोट: कई बड़ी बड़ी वेबसाइट में हमने पड़ा है। “स्फटिक सिर्फ फिटकरी के सामान दीखता है, इसके मनको में असमानता होती है। यह बहुत महेंगी मिलती है।

         में प्रवीण कुमार इन सभी तथ्यों को ख़ारिज करता हूँ। यह फिटकरी के सामान दिखने के अलावा बहुत   ही सुन्दर एक समान कांच की तरह चिकनी भी होती है।  रही बात महंगी की तो हम इसे इतने सस्ते   दान राशी में दे रहे है जो इस कथन को भी गलत ठहरा देगी।

नुकसान :

इसके कोई नुकसान नहीं होते है । इसे कोई भी पुरुष , स्त्री,बच्चे या बुडे पहन सकते है । कुछ सावधानिया रखना चाहिए जिसका विवरण अग्र लिखित है ।

सावधानियाँ:

स्फटिक माला को धारण करने के बाद कुछ सावधानिया रखना अनिवार्य होता है । अन्यता लाभ की जगह हानि का सामना करना पड़ सकता है । आइये जानते है कोन-कोन सी सावधानिया रखना चाहिए:

  • इसको पहनने वाले जातक को मास-मचली का सेवन नहीं करना चाहिए । इससे लक्ष्मी माँ रूठ सकती है ।
  • स्फटिक माला को पहनकर किसी समशान,शोक स्थान, या स्त्री रजस्वला के स्पर्श से बचाना चाहिए ।
  • स्फटिक माला से कोई एक ही मंत्र जपना चाहिए, बार बार मंत्रो को बदलना नहीं चाहिए ।
  • स्फटिक माला को पहनकर सोना नहीं चाहिए । सोते वक्त इसे उतारकर रख देना चाहिए ।
  • स्फटिक माला को धारण करने के बाद अधार्मिक कार्यों को करने से बचना चाहिए ।
  • जातक को स्फटिक माला को पहनने के बाद स्वच्छता का ध्यान रखना अनिवार्य है क्योंकि माता लक्ष्मी का स्वरुप इसमें बसता है ।
  • ध्यान रहे जातक के पास जो माला है वह असली होना अनिवार्य है अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है ।

स्फटिक माला के अधिक लाभ के लिए छोटे प्रयोग:

स्फटिक माला के अधिक लाभ के लिए छोटे प्रयोग बताये गए है जो आपको समान्य से अधिक लाभ देंगे। सभी प्रयोग सरल है आप आसानी से कर सकते है ।

  1. अगर आपका शुक्र गृह कमजोर है या आपको आकर्षण की प्राप्ति करनी है तो आपको शुक्रवार के दिन उत्तर या पूर्व की ओर मुह करके कम से कम एक माला शुक्र मंत्र की जप करना चाइये “ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः”
  2. जो व्यक्ति ऋण के बोझ या धन के आभाव में जी रहा है वह शुक्रवार के दिन घर के इशान कोण में ताम्बे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमे माला को रखे । अब हर शुक्रवार को माला को जल से निकालकर महा लक्ष्मी की आराधना करना चाइये “श्रीं” बीज मंत्र का यथा सम्भव जप करना चाइये ।
  3. घर में अगर क्लेश बना रहता है ,पति-पत्नी में झगड़ा होता रहता है तो सुख-शांति समृद्धि के लिए माता पार्वती के “ॐ गोरये नमः “ मंत्र का यथा संभव जप करके माला को धारण करना चाइये । माता पार्वती से गृह क्लेश मिठाने की विनती करना चाहिए ।
  4. स्फटिक माला को प्राण-प्रतिष्ठित करके शुक्रवार के दिन धारण करने से धन का लाभ होना प्रारम्भ हो जाता है ।
  5. विद्या प्राप्ति के लिए माता सरस्वती जी की आराधना करके “ॐ ऐ” मंत्र का जप करना चाहिए । एसा करने से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता हाशिल होती है ।

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