त्राटक में ज़रूरी-L3 प्राणायाम- शवासन P2

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शव प्रयोग:

         इस प्रयोग में साधक को शवास्था में जाना होता है अर्थात् साधक का पूरा शरीर मृत के सामान होता है।

विधि :

  सबसे पहेले साधक को नहाकर या हाथ पेर धोकर योगासन के लिए तेयार हो जाना चाहिए। इसके बाद जमीन पर पीठ के बल बिलकुल सीधा लेट जाये। शरीर पर किसी भी प्रकार का सहारा न लें। एसा सोंये की आपको आराम लगे। पूरा शरीर ढीला छोड़ देना है कोई हलचल नहीं करना है। दोनों हांथो और पेरों को सुविधा अनुसार रख लें।

      अब मन को शांत करने की कोशिश करे। अपने दिमाग के सभी विचारों को नष्ट कर दें। मन बिलकुल शांत होना चाहिए, सिर्फ सांसो के अलावा कुछ भी विचार और हल चल नहीं होना चाहिए।

     अब हमें सांसो पर ध्यान लगाना है और अपने शरीर को रुई के समान हल्का समझने की कोशिश करना है। गहराई तक सोंचते रहे और धीरे धीरे अपने शरीर के अंगो को सुन्न करने की क्रिया को प्रारम्भ करना है।

    सबसे पहेले हमें अपनी आँखों से शुरू करना है। अपने आप को भावना देना है की “मेरी आंखे सुन्न हो चुकी है , इसमें बिलकुल भी जान नहीं रही है। में इस अंग को महसूस ही नहीं कर पा रहा हूँ।“ फिर मुह को भावना देकर शिथिल करना ,कान को,हाथ को , ऊँग्लियों को, बारी –बारी से हर अंग को  सुन्न करने की प्रक्रिया दोहराना है । और अंत  में अपने दिमाग को सुन्न कर दें । यह क्रिया रोज़ दोहराते रहे इससे आपको योग निंद्रा एवं एकाग्रता का विकास होगा।  रोज़ इस योग क्रिया को 15-20 मिनट करें ,इसके कई लाभ आपको जीवन में देखने को मिलेंगे।

     इस क्रिया को करते हुए आप योग निंद्रा में प्रवेश कर सकते है तो घबराए नहीं यह स्वभाविक निद्रा में परिवर्तित हो जाती है। इस क्रिया की 1 घंटे की निद्रा पूरी रात की निद्रा के सामान होती है। इस निंद्रा से हमें पूर्ण विश्व शक्ति मिल जाती है जिसके कारण हम तरोताजा महसूस करते है।

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