Vichar sampreshan

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त्राटक से विचार संप्रेषण:- विचार संप्रेषण का तात्पर्य होता है विचारों को एक जगह से दूसरी जगह संचारित करना। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार हम मोबाइल से अपने विचारों को एक दूसरे से आदान-प्रदान करते हैं। विचार संप्रेषण के माध्यम से किसी भी व्यक्ति विशेष को अपनी बात बिना बोले उसके मन तक पहुंचाई जा सकती है। यहां तक कि इस विद्या के माध्यम से हमारे मन मुताबिक विचार भेज के सामने वाले व्यक्ति को कार्य करने के लिए बाधित भी किया जा सकता है। जिसे सामान्य भाषा में वशीकरण भी कहते हैं। यह कार्य कोई भी व्यक्ति कर सकता है। बस आवश्यकता होती है इसको सही प्रकार से सीखने की और उसको उपयोग करने की। यह संसार रहस्य से भरा पड़ा है। जिसमें यह रहस्य ही अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह शक्ति हर व्यक्ति के पास होती है परंतु वह इसका उपयोग करना नहीं जानता। प्राचीन काल में ऋषि महर्षि देव दानव और व्यक्ति विशेष किया करते थे। पहले के जमाने में मोबाइल या अन्य प्रकार की संप्रेषण प्रक्रिया नहीं हुआ करती थी। परंतु आज का युग तो आधुनिक युग है और इस युग में टेक्नोलॉजी ने हमें कहीं शक्तियों से वंचित कर दिया। इसे आज हम रहस्य का नाम दे देते हैं। जब यह शक्ति हमारे पास है तो हम इसका उपयोग क्यों नहीं कर सकते? अगर हां तो कैसे कर सकते हैं? इस प्रकार के कई सवाल हमारे मन में हिलोरें लेते हैं।

      जिसमें एक सवाल उठता है क्या वाकई में यह संभव है? इसका उत्तर है हां बिल्कुल संभव है। जिस कार्य की आप कल्पना कर सकते हैं वह इस संसार में मौजूद है यह कड़वा सच है। आप वही कल्पना कर सकते हैं जो इस ब्रह्मांड में व्याप्त है। ऐसी कोई कल्पना ही नहीं है जो असंभव होती हो। और यह कोई कल्पना नहीं है एक हकीकत है जो प्राचीन काल से भगवान शिव योगी ऋषि महर्षि आदि उपयोग करते आए हैं। आज भी इसका उपयोग हम अनजाने में किया करते हैं। आइए एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं: जब कोई दंपत्ति नए प्रेम संबंध में जोड़ती है तो उन्हें कहीं प्रकार के अनचाहे अनुभव की होते हैं। जिसे हम अनजाने में समझ नहीं पाते। लेकिन यह अनुभव विचित्र और बहुत ही सुखद होते हैं। नए प्रेम संबंध में जब कोई एक पक्ष किसी दूसरे पक्ष को दिल से याद करता है तो उस व्यक्ति को आभास हो जाता है। कहीं बार आपने देखा होगा या तो वहां व्यक्ति आपके सामने आ जाता है या फिर उसका फोन कॉल आ जाता है। आखिर ऐसा क्यों होता है?

दूसरा उदाहरण कोई रिश्तेदार किसी व्यक्ति को बहुत सच्चे मन से याद करता है फिर कभी उसका कॉल आ जाए तो हम आश्चर्यचकित हो जाते हैं और हम कहते हैं “अरे मैं आपको ही याद कर रहा था।” फिर सवाल उठता है आखिर ऐसा क्यों होता है? यह सब जानते हुए भी हम अनजान बनकर उसे भुला देते हैं। बहुत इत्तेफाक देकर उसे बुलाते हैं।

    मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे दिमाग की हर एक सोच की फ्रीक्वेंसी होती है। जो एक जगह से दूसरी जगह तक सफर करने में सक्षम है बिल्कुल एक मोबाइल के नेटवर्क की तरह। बस हमें आवश्यकता है सिग्नल भेजने वाले के साथ उसे प्राप्त करने वाले की। और आवश्यकता है उस कला को असल जीवन में प्रयोग करने की। आइए जानते हैं इसकी विधि:

    यह रहस्य में शक्ति हमें हमारे पूर्वजों से प्राप्त है अब सीखने की आवश्यकता है उसका लाभ को उपयोग करने की। विचारों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हमारा मन कार्य करता है। जैसा कि हमने पिछले लेख में बताया है कि हमारे मस्तिष्क के 2 भाग होते हैं पहला चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन। चेतन मन हमेशा विचारों में डूबा हुआ रहता है लेकिन यह एक स्थिति में सो जाता है परंतु अवचेतन मन 24 घंटे एक्टिव रहता है । जहां हमारा चेतन मन सोने के बाद विचारों के जंजाल से मुक्त हो जाता है वही हमारा अवचेतन मन अपना पूर्ण प्रभाव डालना प्रारंभ करता है। जिसके फलस्वरूप हम स्वप्न यात्राएं भी करते हैं। अगर हम अवचेतन मन को कंट्रोल करना सीख जाएं तो हम वह सब पढ़ सकते हैं जो हम चाहते हैं। हम किसी व्यक्ति के अंदर जबरदस्ती हमारे विचारों को थोप सकते हैं। मन मुताबिक कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। कभी-कभी चेतन मल जागृत अवस्था में होने के बाद भी अवचेतन मन किसी किसी विचार को प्रोसेस कर देता है जिसके फलस्वरूप सामने वाले व्यक्ति के अंदर हमारे विचार पहुंच जाते हैं और वह कहता है कि मैंने अभी-अभी आपको याद किया था। क्योंकि उस वक्त आपने उसे याद किया था। अवचेतन मन और चेतन मन में अगर संबंध स्थापित कर दिया जाए तो यह कार्य अति सरल हो जाता है। जब चाहे किसी को भी अपने विचार भेजकर अपने मन मुताबिक कार्य करवा सकते हैं। वह भी बिना मुंह से आवाज किए उसके मस्तिष्क में अपनी प्रोग्रामिंग डाल सकते हैं।

  इसके लिए आवश्यक होता है हमारे मन को एकाग्र करना। पूर्ण एकाग्र चित्त होकर अगर हम किसी को दृढ़ विश्वास के साथ आवेशित होकर विचार को भेजेंगे तो सामने वाले व्यक्ति के मन में वह आघात करेंगे। लगातार अभ्यास करने से आज्ञा का पालन चंद मिनटों में भी हो सकता है। प्रारंभिक दौर में समय लग सकता है। विचार भेजते वक्त कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है जैसे जिस व्यक्ति को विचार भेजना है उसको पूर्ण एकाग्र चित्त होकर विचारों को संप्रेषित करना है लेकिन उस वक्त सामने वाले व्यक्ति का चेहरा हमारे मस्तिष्क में होना अनिवार्य है। जो कार्य करवाना चाहते हैं उसकी हमें कल्पना करना है और ऐसा सोचना है कि वह व्यक्ति जो कार्य करवाना चाहते कर रहा है। विचार ऐसे होना चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति उसे करने में सक्षम हो। कहीं हम अगर ऐसा विचार दें कि कोई 500 किलोमीटर से चलकर 2 घंटे में मेरे पास आए तो यह एक असंभव कार्य है। इसलिए विचार वही दें जो सामने वाला व्यक्ति कर सकता है।

   विचार संप्रेषण शक्ति को बलशाली बनाने के लिए हमें कुछ अभ्यास करना चाहिए। जिससे विचारों की गति और प्रभावशीलता की गुणवत्ता बढ़ जाए l

अभ्यास -1

मान लीजिए हम किसी व्यक्ति विशेष को हमारे विचार भेजना चाहते हैं। वह कोई भी हो सकता है वह आपका परिचित हो तो अच्छी बात है । उसका एक ब्लैक एंड वाइट फोटो लेकर दीवार पर इस प्रकार चिपका दें की अगर हम उसके सामने बैठे हैं तो उसकी आंखें और हमारी आंखें बिल्कुल सीधी हो। कमरा शांत हो और स्वच्छ हो। अभ्यास करते वक्त कमरे में अधिक प्रकाश नहीं होना चाहिए और ना ही अभ्यास को मोबाइल कंप्यूटर या टीवी स्क्रीन पर नहीं करना चाहिए। ठीक 2 फीट की दूरी पर आसन लगाकर बैठ जाएं। और उस चित्र को आंख में आंख डालकर तब तक देखें जब तक कि आपकी आंखों से अश्रु ना आ जाए। जैसे ही आपकी आंखों में आंसू आते हैं आंखें बंद करके उस चेहरे को मानसिक रुप से देखने का प्रयास करना है।

   कल्पना करें कि जो आप व्यक्ति से करवाना चाहते है। मान लीजिए आप उनसे फोन पर बात करना चाहते है तो आप कल्पना करे तुम आपको कॉल करने के लिए बेचैन हो रहे हो, आप मुझसे कॉल पर बात करने के लिए तीव्र इच्छुक है। इस प्रकार वो व्यक्ति   आपको   कॉल   करने के लिए बेचैन होगा और  जल्द से जल्द आपके पास कॉल आएगा।

अभ्यास -2 

  अभ्यास 2 के अन्तर्गत शवासन प्राणायाम आता है

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