गणेश चतुर्थी २०२१ पूजन विधि

गणेशोत्सव की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और अनंत चतुर्दशी के दिन इस त्योहार का समापन होता है। जिसे गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को लोग धूम धाम से मनाते हैं।

इस साल गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से होने जा रही है और 19 सितंबर को इस उत्सव का समापन होगा

गणपति की स्थापना शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए. पंचांग के अनुसार गणपति बप्पा की स्थापना 10 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से लेकर रात 10 बजे तक की जा सकती है.

पूजा विधि: गणेश पूजा के लिए भक्तों को चाहिए कि वे सूर्योदय के पहले स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ कपड़े पहन लें. उसके बाद गणेश के समक्ष बैठकर पूजा प्रारंभ करें. उनका गंगा जल से अभिषेक करें.  अब उन्हें अक्षत, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें. उनके प्रिय चीज मोदक का भोग लगाएं. उसके बाद धूप, दीप और अगरवत्ती जलाकर उनकी आरती करें. अब गणेश जी के मन्त्रों का जाप करें. उसके बाद पुनः आरती कर पूजा समाप्त करें.  

इस दौरान लाल व पीले रंग के कपडे पहनने चाहिये और साथ ही यह भी ध्‍यान रहे कि नीले आरे काले रंग के कपडे न पहने हो

साथ ही गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये यदि आप भूलवश चंद्रमा के दर्शन भी कर लें तो पथ्‍थर का एक टुकड़ा जमीन से उठाकर पीछे की तरफ फेंक दे

गणेश जी को प्रिय वस्‍तू – गणेश जी को दूब घास प्रिय है एवं गन्‍ना एवं बुंदी के लडडू भी उनको प्रिय है इसलिए इनका भोग लगाए

गणेश जी की मूर्ती खरीदते समय ध्‍यान रखें कि उनकी सूंड दाई तरफ मुड़ी होनी चाहिये

गणेश जी के पूजन में तुलसी के पत्‍ते नहीं चड़ाने चाहिये

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