Nabhi darshana apsara sadhana (नाभि दर्शाना अप्सरा साधना )

NABHI DARSHANA APSARA SADHANA

जब साधक बनाना आरम्भ होता है तो व्यक्ति के मन बहुत सारे सवाल जन्म लेते है। उसके अन्दर बहुत अकंशाये होती है। साधना जगत में उसे सोंदर्य साधना के बारे में भी पता चलता है। उसके मन में भी अप्सरा साधना करने की इच्छा जाग्रत होती है । हो भी क्यों न , जब अध्यात्म जगत में आते है तो हमें विश्वामित्र गुरु की कहानी तो सुनने को मिलती ही है। उसके अलावा बचपन से परियो की कहानी सुनी है। ,उस वक्त इच्छा होती थी की काश कोई परी हमारे साथ हो। जब कोई यह कहेदे की परियों से या अप्सरा से मिला जा सकता है । तो फिर सोंदर्य साधना करना तो बनता ही है।

अप्सरा साधना सबसे सरल और बिना किसी दुष्प्रभाव की होती है,तो हर नए साधक को इस साधना को करने की इच्छा जाग्रत हो जाती है। जब हम साधक बनते है तो हम साधना करने के लिए उतने उतावले होते है, की जिसकी संज्ञा नहीं। अप्सरा साधना करने से साधक खुशियों से भर जाता है। बिना सोंदर्य साधना के साधक सही मायने में साधक बन भी नहीं सकता है, क्योंकि साधक जिज्ञासु होता है । साधक के अन्दर अप्सरा को प्रकट करने की लालसा होती है।यही लालसा साधक को सही मायने में साधक बनाती है।

स्वर्ग की देवी अप्सरा आकर्षण का प्रतिक है। अगर मृत्यु से पहेले देवी मिल जाये तो जीवन धन्य हो जाये। बिलकुल चन्द्रमा की चांदनी ,रातों में पूर्णिमा की लहर , मोर जेसी चाल , सहद जेसी मिठास हमें मिल जाये। वह ख़ुशी जिसके हम असल हक़दार है। हर साधक के पास अगर अप्सरा हो तो वह उच्चकोटि का साधक बन सकता है। प्रेम की सही परिभाषा अगर सीखनी है तो वह सिर्फ अप्सरा ही सिखा सकती है। आपका प्रेम और सुन्दरता दोनों अप्सरा निखार देती है।

अप्सराओं की उत्पत्ति के बारे में शास्त्रों में वार्णित है, कि समुन्द्र मंथन में सबसे पहेले रम्भा अप्सरा फिर अमृत तथा तत्काल बाद भगवती लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इसलिए अप्सराओं को स्वर्ग की सुन्दरता के लिए रखा गया और इनका महत्व सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ट भी कहा गया है। रूप,रस तथा जल तत्व प्रधान होने के कारण इनका नाम अप्सरा पड़ा और इनके गुण देवताओ के सामान ही पूर्ण रूप से प्रभावशाली है। एक तथ्य और आता है कि इन्द्र ने 108 ऋचाओ की रचना करके इन्हें प्रकट किया।

        इस देवी का स्वरुप सोंदर्य से भरपूर है, कोमलता से भरा शरीर पूर्ण यौवन से लबालब है। सागर जैसी नीली-नीली आंखे है, हवा में नागिन जैसे लहराते हुए बाल है। इनका रंग हल्का सुनहरा और कानो में स्वर्ण कुंडल पहेने है। पूर्ण यौवन भार से लदी ,चांदनी की तरह चमकते हुए कपडे शरीर में लिपटे हुए है। 16 वर्ष की दिखने वाली सुन्दर आकर्षण से भरपूर मादक खुशबु बिखेरने वाली है। इसके देखने के बाद देवता भी मुग्द हो जाते है तो साधक क्या चीज़ है।

साधना🙁NABHI DARSHANA APSARA SADHANA )

: इस साधना को आप किसी भी शुक्रवार से प्रारंभ कर सकते है। यह एक रात्रिकालीन साधना है इसे साधक को रात्रि 10 बजे के बाद करना चाहिए। साधना के लिए एकांत कमरे का चयन कर लें। साधक को साधना सामग्री पूर्व में जो लेकर आये उसे एकत्रित कर लेना चाहिए और फिर नहाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बेठ जाना चाहिए। वस्त्र कोइ से भी सुन्दर लगने वाले धारण कर लेना चाहिए तथा इत्र स्वयं पर और पुरे कमरे में छिड़क लेना चाहिए।

सर्वप्रथम अपने सामने एक लकड़ी का बजोट लेकर रखे और उस पर पिला वस्त्र बिछाकर गणेश,गुरु ,और यंत्र की स्थापना करे। अब सभी का पंचोपचार पूजन संपन्न करे। घी का दीपक लगाये उसके बाद आपको नाभि दर्शाना अप्सरा माला से 21 माला मन्त्र उसी रात्रि को संपन्न करना है।

!! ॐ ऐं श्रीं नाभिदर्शना अप्सरा प्रत्यक्षं श्रीं ऐं !!

      साधना के दौरान अगर किसी भी प्रकार की हलचल हो जैसे घुंघरूओ की आवाज या स्पर्स या सामने दिखाई दे तो तो आपको बिलकुल भी विचलित होने की जरूरत नहीं है। आपको पूर्ण एकाग्रता से जप पूर्ण करना है। जप पूर्ण हो जाने के बाद ही अप्सरा से आप वचन मांगेंगे जिसमे सर्प्रथम उन्हें पुष्प की माला एवं मिठाई भेंट करेंगे। वचन लेने के लिए उनके हाथ में हाथ रखकर प्रेम से कोई भी वचन मांग ले। अक्सर देखा गया है कि साधक वचन मांगते वक़्त घबराहट में या उससे मोहित होकर वचन भूल जाते है। इसका एक उपाय है आप वचन किसी कागज में लिखकर दीवार पर चिपका दें। अब उसे देखकर आप उनसे वचन मांगे।

      अब जब भी एक माला जप करेंगे आपको अप्सरा दर्शन देगी। आप उनसे प्रेमपूर्वक पेश आये किसी भी प्रकार से उनसे वाद विवाद न करे। देवी शक्ति है रुष्ट हो जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है।  

   आशा करते है आप यह साधना संपन्न करके अपने जीवन में खुशिया और निस्वार्थ प्रेम पाएंगे। बिना गुरु मंत्र के साधना में सफलता असंभव है। आपसे निवेदन है की आप पहेले गुरु मंत्र अवश्य लें।

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