पितृ पक्ष २०२१

क्‍या है पितृ पक्ष – पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

पितृ पक्ष कब शुरू होते हैं – भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं,  लिहाजा 20 सितंबर से श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी और आश्विन महीने की अमावस्या को यानि 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होंगे

पितृ पक्ष की जानकारी – पद्त हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। आप दूसरे तरीके से भी इस बात को समझ सकते हैं। पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता के गर्भ में जाता है, उसमें 84 अंश होते हैं, जिनमें से 28 अंश तो शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और 56 अंश पूर्व पुरुषों के रहते हैं। उनमें से भी 21 उसके पिता के, 15 अंश पितामह के, 10 अंश प्रपितामाह के, 6 अंश चतुर्थ पुरुष के, 3 पंचम पुरुष के और एक षष्ठ पुरुष के होते हैं। इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त की एकता रहती है, लिहाजा श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

श्राद्ध की तिथिंयां –

पहला श्राद्ध: पूर्णिमा श्राद्ध: 20 सितंबर  2021 , सोमवार

दूसरे श्राद्ध: प्रतिपदा श्राद्ध: 21 सितंबर 2021, मंगलवार
तीसरे श्राद्ध: द्वितीय श्राद्ध: 22 सितंबर  2021, बुधवार
तृतीया श्राद्ध: 23 सितंबर 2021, गुरूवार
चतुर्थी श्राद्ध: 24 सितंबर  2021, शुक्रवार
महाभरणी श्राद्ध: 24 सितंबर 2021 , शुक्रवार
पंचमी श्राद्ध: 25 सितंबर  2021, शनिवार
 षष्ठी श्राद्ध: 27 सितंबर  2021, सोमवार
सप्तमी श्राद्ध: 28 सितंबर 2021, मंगलवार 
अष्टमी श्राद्ध: 29 सितंबर 2021, बुधवार
 नवमी श्राद्ध (मातृनवमी): 30 सितंबर  2021, गुरुवार
 दशमी श्राद्ध: 01 अक्टूबर  2021,शुक्रवार
एकादशी श्राद्ध: 02 अक्टूबर  2021, शनिवार
द्वादशी श्राद्ध, संन्यासी, यति, वैष्णवजनों का श्राद्ध: 03 अक्टूबर 2021 त्रयोदशी श्राद्ध: 04 अक्टूबर  2021, रविवार
चतुर्दशी श्राद्ध: 05 अक्टूबर 2021, सोमवार
अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन- 06 अक्टूबर 2021, मंगलवार

घर पर पितरों का श्राद्ध कैसे करें

पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और तर्पण देने का विशेष महत्व होता है. पितरों का तर्पण करने का मतलब उन्हें जल देना है. इसके लिए प्रति दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाए. अब सबसे पहले अपने हाथ में कुश, जल, अक्षत, पुष्प और तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें.

इस दौरान ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर और ग्रहन्तु जलान्जलिम’ का जप करें. अब उसे पितरों का नाम लेते हुए पृथ्वी पर गिरा दें. इसी तरह 5, 7 या 11 बार अंजली दें. जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें.  जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो. उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. भोजन कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं.  

श्राद्ध पूजा की सामग्री

पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने और उन्हें श्राद्ध करने के लिए रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल,  जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद,  काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ,  हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल,  खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना की जरूरत होती है. इस लिए इसे पितृ पक्ष के पहले ही एकत्र कर लें.

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