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रम्भा अप्सरा साधना विधि सिर्फ 9 दिनों
जब भी रम्भा अप्सरा साधना का नाम लिया जाता है तो मन में एक आकर्षक, सुन्दर, मनमोहिनी, जवान और अद्वितीय स्त्री की छवि बन जाती है. एक ऐसी स्त्री जिसको देखकर लगता है कि उसे शक्ति और सुंदरता विरासत में मिली हुई है. उसमें से ऐसी सुगंध आती है जो सबको उसकी तरफ खिंच लेती है और जिसे देखकर आँखे सिर्फ उसी पर टिकी रहती है.
इनके लम्बे घने खुले बाल इनकी सुंदरता को और भी अधिक बढ़ाते है. अप्सरायें अधिकतर चुस्त कपड़ों के साथ गहने पहनती है और इनकी चाल देखते ही बनती है. अप्सरायें इतनी खुबसूरत होती है कि बड़े बड़े ऋषि भी इनकी सुंदरता के जाल में फंस जाते है.
जितनी ये खुबसूरत होती है उतनी ही अधिक ये अपने साधक के प्रति समर्पित भी होती है. 16 – 17 साल की दिखने वाली ये युवतियाँ वैसे बहुत सरल और सीधी भी होती है और कभी भी अपने साधक के साथ धोखा नहीं करती. किन्तु ऐसे अनेक साधक भी होते है जिनके मन में इन अप्सराओं को देखकर अपवित्रता जन्म ले लेती है और वे उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करते है, जोकि सरासर गलत है.
इसका परिणाम भी बुरा हो सकता है क्योकि इनके पास असीम शक्तियाँ भी होती है. इसलिए आप किसी भी अप्सरा को देखकर मन को विचलित ना होने दें और अपनी काम भावना को नियंत्रित रखें. आज हम आपको एक ऐसी ही अप्सरा की साधना के बारे में बताने जा रहे है जो बहुत ही आकर्षक और कामुक है.
रम्भा अप्सरा साधना सामग्री:
- – रम्भा अप्सरा यन्त्र
- अप्सरा माला
- गुलाब के फुल व अगरबत्ती
- गुलाबी रंग का कपडा
- दीपक
- आसन, जिसपर पिला वस्त्र बिछा हो
- लकड़ी की चौकी
- अक्षत ( बिना टूटे चावल )
- सौंदर्य गुटिका
- साफल्य
- इत्र
- स्टील की प्लेट
- मुद्रिका
- 2 फूलों की माला
सही दिन ( Right Day ) : पूर्णिमा की रात्री या शुक्रवार का दिन
साधना समय ( Correct Time ) : इस साधना को 9 दिनों तक रात्री में ही करना है.
रम्भा अप्सरा सामग्री किट
रम्भा अप्सरा साधना विधि :
रम्भा अप्सरा साधना आरम्भ करने से पहले आप नहा धोकर अच्छे कपडे पहन खुद को शुद्ध और पवित्र कर लें. उसके बाद आप पीले रंग के आसन पर बैठ जाएँ और पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें. ध्यान रहें कि आप अपने पास फूलों की 2 मालायें अवश्य रखें और जब अप्सरा आयें तो एक उसे पहना दें, दूसरी को वो आपको पहनाएगी.
आप अगरबत्तियां और 1 घी के दीपक जलाएं. अपने सामने खाली स्टील की प्लेट को रखना बिलकुल ना भूलें. अब आप गुलाब की पंखुडियां लेते हुए अपने दोनों हाथों को जोड़ें और “ ओ राम्भे आगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते ” मंत्र का जप करें. हर मंत्र के बाद आप कुछ पंखुड़ियों को स्टील की प्लेट में डालें. आपको कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करना है. स्टील की थाली कुछ देर बाद पंखुड़ियों से भर जायेगी. आप उसपर अप्सरा माला रख दें.
इसके बाद आपको गुलाबी कपडे को बिछाकर उसपर सौंदर्य गुटिका, साफल्य मुद्रिका और राम्भोत्किलन यंत्र को स्थापित करना है. अब आप उनका पंचोपचार पूजन करें. आप सारी सामग्री पर इत्र छिड़कना बिलकुल ना भूलें. अब आप गुलाबी रंग के चावलों के साथ यन्त्र की पूजा करें और निम्नलिखित मन्त्रों का जाप करें.
ॐ दिव्यायै नमः | ॐ वागीश्चरायै नमः | ॐ सौंदर्या प्रियायै नमः |ॐ योवन प्रियायै नमः | ॐ सौभाग्दायै नमः | ॐ आरोग्यप्रदायै नमः |ॐ प्राणप्रियायै नमः | ॐ उर्जश्चलायै नमः | ॐ देवाप्रियायै नमः |ॐ ऐश्वर्याप्रदायै नमः | ॐ धनदायै धनदा रम्भायै नमः |आप हर मंत्र के जाप के बाद कुछ चावलों को यन्त्र पर अवश्य डालते जाएँ. इसके बाद आपको 15 अप्सरा माला तक इस मंत्र को जपना है. “ ॐ ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय मनोवांधितं देहि एं ॐ स्वाहा “
इस तरह आपकी अप्सरा साधना पूर्ण होती है.
रम्भा अप्सरा साधना लाभ :
- · जो व्यक्ति रम्भा अप्सरा साधना करता है उसे बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है क्योकि इसको करने वाले को हर तरह का सुख शांति और मिलती है.
- · उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और वो शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत हो जाता है.
- · इस साधना को पूर्ण कर लेने वाले व्यक्ति के साथ रम्भा पूरी जिंदगी उस व्यक्ति के साथ रहती है और हर कदम पर उसका साथ देती है.
- · जिस तरह रम्भा सबको अपनी तरफ आकर्षित करने की शक्ति रखती है ठीक उसी तरह साधक में भी आकर्षक और सम्मोहन शक्ति आ जाती है.
- · साधक में कभी भी बुढापा नहीं आता और बीमारियाँ तो कोशों दूर चली जाती है. इस तरह साधक के जीवन में प्यार और खुशियाँ भर जाती है.
सावधानियाँ :
- § वैसे अप्सरायें शीघ्रता से अपनी साधना से को पूरा भी नहीं होने देती और आपके ध्यान को भाग करने की कोशिश करती रहती है. कई बार तो आपको आपकी साधना पूर्ण होने से पहले ही अप्सरा दिखने लगती है किन्तु उस स्थिति में आप अपनी साधना को बिलकुल भी ना रोके और मन्त्रों और जप के पूर्ण होने के बाद ही उनके पास जाएँ.
- § साधना के दौरान और अप्सरा को देखने के बाद अपनी काम इच्छाओं पर काबू रखें और उसके प्रति समर्पित रहें.
- § साधना के दौरान जो भी घटित होता है उसे आप अपने तक ही सिमित रखें.
- § जब साधना खत्म हो जाएँ तो आप एक मुद्रिका को अपनी अनामिका वाली उंगली में धारण करें. साथ ही बाकी के सामान को आप किसी बहते पानी अर्थात नदी में प्रवाहित कर दें