त्राटक परिचय L-1 (P2)

सरकार को और हम सब को त्राटक विद्या को जानकर शिक्षा में इसे शामिल करना चाहिए, ताकि इसके माध्यम से बच्चो से लेकर युवा पीढ़ी तक अपने दिमाग का अधिकांश भाग उपयोग में ला सके। सिर्फ किताबों में सतावधानी व्यक्तित्व को पड़ना हल नहीं है उसे जीवन में सतावधानी बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

मुझे खुशी है की आज की युवा पीढ़ी और सरकार का ध्यान इस की ओर बढ़ने लगा है। हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री योग के ऊपर जोर दे रहे हैं।

हम इस अद्भुत शक्ति को समझने का प्रयास करते हैं हर इंसान के अंदर दिमाग होता है यह बात सत्य है। और यह भी जानते हैं यह सबके पास होता है। लेकिन समस्या यहां आ जाती है किसी के पास ज्यादा दिमाग होता है किसी के पास कम दिमाग होता है। अब यह कैसी विडंबना है कि भगवान ने सबको दिमाग दिया । तो किसी को देने में कंजूसी,तो किसी को भर भर के दिया। ऐसा नहीं, भगवान ने सब को दिमाग बराबर दिया। निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर। उदाहरण के लिए घर में लगी बिजली में हम जीरो वाट का बल्ब जलाते हैं तो कम उजाला देता है। परंतु उसी बिजली में 500 watt का हैलोजन लगा दिया जाए, तो वह पूरे एरिया को उजाले से भर देगा। इससे आप समझ सकते हैं बिजली तो सभी जगह सेम है बस जलाने वाले पर निर्भर करता है। ठीक इसी प्रकार दिमाग की शक्ति को प्रयोगकर्ता पर निर्भर करता है।

हर सोच की फ्रीक्वेंसी होती है जिसका विवरण हम आगे जाकर आपको बताएंगे। त्राटक हमारे मस्तिष्क के दो भागों में से उत्पन्न तरंगों पर काम करता है। इसमें इच्छाशक्ति एवं काल्पनिक दोनों कार्य करती है। त्राटक विडियो :-

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इच्छा शक्ति: इसे आप काम करने की शक्ति कह सकते हैं इसे इंग्लिश में will power कहेते है। किसी भी कार्य करने की हमारे अंदर इच्छा जागृत होती है उस इच्छा पर अगर आपका पूरा भरोसा है तो आपको अपने आत्मविश्वास के साथ पूरी ईमानदारी से करना होता है। यह हमें हमारे कार्य में सफलता दिलाने में मदद करती है। हमने शास्त्रों में भी बड़ा है कृष्ण जी ने हमें गीता में उपदेश दिया “कर्म करो फल तो आपको मिलेगा ही।” भगवान श्री कृष्ण अपनी इच्छा जागृत कर रहे हैं कि जो भी मैं कार्य करूंगा उसका फल मुझे निश्चित तौर पर मिलेगा। हालांकि यह उपदेश सुना सुना या होने के कारण बहुत साधारण लगता है परंतु आपको इस शक्ति का आभास नहीं है। हर कोई कहता है मैं तो कर्म करता ही हूं लेकिन मुझे गलत फल मिल जाता है। कोई कहता है मैंने तो कार्य ईमानदारी से किया था परंतु में असफल हो गया। आए दिन साधक मुझे इस प्रकार के मैसेज करते रहते हैं। लेकिन यह नहीं जानते की कर्म करने की क्षमता आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है। सफलता असफलता का निर्णय आपकी सोच पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए एक गरीब किसान दिखने में कमजोर नजर आता है परंतु उसके द्वारा किया हुआ कार्य बलशाली व्यक्ति नहीं कर पाते। मैंने देखा है आंखों से बहुत सारे गरीब मजदूर किसान एक 1 क्विंटल की बोरी अपनी पीठ पर लादकर ट्रैक्टर ट्रॉली में डाल देते हैं। यहां उनके कार्य करने की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। एक  उदाहरण हमें रामायण काल में मिलता है ,बाली को देखने मात्र से शक्ति का आधा हो जाना क्या था? यह महज एक भावना थी जो सामने वाले व्यक्ति को कमजोर बना देती थी और बाली की दृढ़ इच्छाशक्ति सामने वालों को परास्त कर देती थी। बाली के सामने योद्धा आते थे अपने आप को कमजोर मानकर हार जाया करते थे। उपरोक्त दोनों उदाहरण से आप इच्छा शक्ति के बारे में समझ सकते हैं।

लेकिन इच्छाशक्ति भी दृढ़ होना अनिवार्य है तभी आप सफल हो सकते हैं। सफलता का निर्णय तो आपकी कर्म करने की भक्ति पर ही निर्भर करता है। एक ओर उदाहरण आपको बताते हैं स्वतंत्रता सेनानी पूरी अंग्रेजों की फुल से अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से लड़ते रहे खून बहता रहा, शहीदों की लाशें बिखरी नजर आती रही, परंतु आखरी सांस तक अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते बिना कतराए लड़ते रहे। यही कर्म करने की शक्ति होती है।

त्राटक कल्पना शक्ति विडियो :-

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इस इच्छाशक्ति में विश्वास की शक्ति का होना भी अनिवार्य है जिसे हम इंग्लिश में पावर ऑफ कॉन्फिडेंस कहते हैं। व्यक्ति भगवान को प्रसाद चढ़ाने जाते हैं और उनसे कहते हैं की “है प्रभु! मैं यह कर्म करने जा रहा हूं इसमें मुझे सफलता दिलाएं और मेरी मनोकामना पूर्ण करें” ऐसा करने मात्र से विश्वास और भी विश्वास में बदल जाता है। बदलेगा भी क्यों नहीं? बचपन से हम सुनते आए हैं भगवान हर वक्त हमारे साथ हैं। यह बात अलग है अच्छे या बुरे कर्म व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। जब भी हमारे साथ कोई गलत घटना घट जाती है तो हम यह जानते हैं होता वही है जो ऊपर वाला चाहता है।जब अच्छा कार्य हो जाता है तो हम कहते हैं भगवान ने हमारा कार्य सफल कर दिया। यह विश्वास की शक्ति है अच्छे कार्य में भगवान को साथ ले लिया और प्राकृतिक घटना घटने पर भगवान की मर्जी कहकर मन को समझा लिया। इसी सिद्धांत पर विश्वास शक्ति कार्य करती है और इस विश्वास शक्ति से मानव कुछ भी कर सकता है। विश्वास शक्ति में आत्मविश्वास (self Confidence) अधिक होगा उतनी अधिक आपको सफलता मिलेगी। पूरे आत्मविश्वास से किया गया कार्य बहुत सारी कठिनाइयों से हमें बचा लेता है। आत्मविश्वास त्राटक में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसी आत्मविश्वास से आप किसी को भी आदेश दे सकते हैं। इसे आदेश शक्ति का रूप भी कहा जा सकता है। त्राटक के माध्यम से हम स्वयं को आदेश देते हैं और वह आदेश हमारा आंतरिक मन मानकर हमें सकारात्मक परिणाम देता है।

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