त्राटक परिचय L-1 (P1)

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नमस्कार,

त्राटक क्या होता है सबसे पहले हम को यह जान लेना चाहिए। किसी भी वस्तु को बिना पलक झपकाए एकटक देखने को त्राटक कहते है। यह एकटक देखने की क्रिया आंख में आंसू आने तक करना होता है।

    यह क्रिया हमारे मन पर निर्भर करता है जैसे आपके मन के विचार रहेंगे वैसे आपके परिणाम सामने आएंगे। सबसे पहला सवाल यह उठता है कि विचार क्या है? इसमें कोई संदेह नहीं कि मानव का मन बहुत चंचल है मन तो इच्छाओं का सागर है,हजारों इच्छाएं जन्म लेती है। जिसमें कुछ इच्छाएं पूर्ण हो पाती है बाकी की इच्छाएं दम तोड़ देती है। कहने का अर्थ है हमारे मन में उत्पन्न इच्छा की पूर्ति तथा आपूर्ति दोनों सफल और असफल बनाती है। ज्यादातर इच्छा है पूरी नहीं हो पाती और इस कारण मानव डिप्रेशन में जाकर कहीं रोगों का शिकार हो जाता है। शरीर में उत्पन्न इन रोगों को बड़े-बड़े डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पाते क्योंकि रोगी टेंशन के कारण बीमार रहता है। अगर मन की इच्छाओं पर कंट्रोल कर लिया जाए तो जीवन बदलना कोई बड़ी बात नहीं है।

      बहुत सारे उदाहरण देखने को मिलते है मन को विचार मुक्त बनाकर बहुत लोग महान बने है। जैसे महात्मा बुद्ध, स्वामी विवेकानन्द आदि। मन सर्वशक्तिमान है क्योंकि इसमें स्वयं प्रभु का बसेरा है।

प्राचीन ऋषि – मुनि जंगलों में जप तप करके अनेक शक्तियों के मालिक बनते थे। योग क्रियाओं के माध्यम से वह इन्द्रियों को अपने अधीन कर लेते थे यह सब ध्यान योग से संभव था।

   अब ध्यान क्या होता है? “ध्यान” योग क्रिया है । इसको करने के अनेक विधियां प्रचलित है। ध्यान में विचार शून्य होने कि क्रिया को किया जाता है। साधक इस विधि में मन पर कंट्रोल करने का प्रयास करता है। त्राटक इस योग की सबसे सरल विधि है। इसके भी बहुत अलग अलग तरीके बताए है जिसके बारे में हम इस पुस्तक में विस्तार से जानेंगे। अब हमारे मन में एक सवाल उठ रहा है कि हर समय विचार चलते रहते है तो इसे रोकना संभव है। इसका उत्तर है हां। और ये सभव है अभ्यास ,अभ्यास और अभ्यास से।[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=TVm1VGcrGEU[/embedyt]

बस यही आत्मज्ञान हमें ईश्वर प्राप्ति के लिए और लक्ष्य प्राप्ति के लिए होता है । इसी आत्मा में परमात्मा बसा होता है और इन्हें प्राप्त करने के लिए विचार शून्य होकर पूर्ण रूप से अपने इष्ट देव का ध्यान लगाना होता है। त्राटक विद्या दिमाग को एकाग्र करके हमें ध्यान की ओर बढ़ाता है। ध्यान की आगे विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

      त्राटक को बढ़ावा देने में सरकार का कोई भी योगदान नहीं रहा है। इसका एक मुख्य कारण पहले से चले आ रहे हैं एक वहम से हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मानव देह को एक अद्भुत शक्ति प्रदान की गई है और इस शक्ति से इतना कुछ कर सकता है जिसकी वह स्वयं भी कल्पना नहीं कर सकता। सरकार की और मानव समाज के वहम के कारण आज इस विद्या को चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं जिन्हें भी अंधविश्वास एवं जादूगरों की संख्या दे दी जाती है। इंसान यह भूल गया कि यह शक्ति प्रकृति ने उसे उपहार के रूप में दी है इसे आत्मिक शक्ति बोलते हैं। विज्ञान के बढ़ने के साथ-साथ इस शक्ति का प्रयोग होना बंद हो गया। विज्ञान के बढ़ते कदमों के साथ ध्यान एवं त्राटक से लोग दूर हो गए। लेकिन विज्ञान भी कहता की यह अद्भुत शक्ति है जिसे आत्मिक शक्ति कहा जाता है। विज्ञान स्वयं कहता है की अगर इंसान अपने मस्तिष्क का 10% भाग भी यूज कर ले तो वह मानव से महामानव बन जाता है। विज्ञान तो यह भी कहता है की मस्तिष्क की हर कल्पना का एक तरंग रूप होता है। जिसका विवरण हम आगे आपको बताएंगे। परंतु वहम एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को दीमक की तरह खा जाती है।

        इसका विवरण एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। लोग आज भी मानते हैं कि रास्ते में अगर कोई काली बिल्ली मिल जाए तो वह अशुभ होती है। उसका रास्ता काट देना समस्या की निशानी होती है। वाह रे मानव वाह तेरी सोंच की तो दाद देना चाहिए। ये नहीं सोचता कि इस बिल्ली को भी उसी ने बनाया है जिसने मुझे बनाया है। अरे उस भगवान की रचना को तो यह भी नहीं पता कि मैं रास्ता काट रही हूं तो यह मानव मुझे अशुभ मान रहा है वह तो अपना रास्ते पर चली जा रही है,बिना किसी को परेशान किए।

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