काल भैरव मंत्र साधना | काल भैरव मंत्र को सिद्ध करने की सरल व संशिप्त विधि |

काल भैरव उपासना : –

कलियुग के समय में काल भैरव की उपासना शीघ्र फल प्रदान करने वाली है | शास्त्रों में वर्णित है कि कलियुग के समय में भैरव जी , हनुमान जी व माँ काली की उपासना अन्य सभी देवों से शीघ्र फल प्रदान करने वाली होगी | काल भैरव/Kaal Bhairav के भक्त अपनी-अपनी श्रद्धा अनुसार उनकी उपासना करते है | आइये जानते है काल भैरव को प्रसन्न करने हेतु उनके भक्त किस प्रकार से उनकी पूजा करते है :

  • काल भैरव/Kaal Bhairav की उपासना में रविवार का दिन अति शुभ माना गया है | इसके अतिरिक्त उनकी उपासना शनिवार के दिन भी की जा सकती है |
  • काले कुत्ते को काल भैरव का वाहन कहा गया है | इसलिए शनिवार के दिन काले कुत्ते को गुलगुले बनाकर खिलाने से भी भैरव शीघ्र प्रसन्न होते है |
  • कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव अष्टमी के नाम से जाना जाता है | शास्त्रों के अनुसार भैरव का जन्म इसी अष्टमी को हुआ | इस दिन भैरव उपासना करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट दूर होते है | भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंदिर में उनके दर्शन अवश्य करने चाहिए |
  • काल भैरव मंत्र साधना व उनके विशेष पूजा-पाठ को रात्रि में संपन्न करने का विधान है |
  • काल भैरव को उनके मंदिर में सरसों का तेल व सिन्दूर चढ़ाया जाता है साथ में मदिरा द्वारा भोग भी लगाया

साधना विधि : – रविवार की रात से इस काल भैरव साधना की शुरुआत करें | रात्रि को एक समय और एक स्थान सुनिश्चित कर प्रतिदिन मंत्र जप का द्रढ़ संकल्प लेकर अपनी साधना शुरू करें

पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर काल भैरव की फोटो की स्थापना  करें | ईशान कोण में सरसों के तेल का दीपक जलाये | और सामने लाल आसन बिछाकर बैठ जाये | अब आप हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले व मंत्र जप शुरू करें | 41 दिन तक लगातार इस साधना को करें | 41 दिनों के पश्चात् जितने मंत्र जप आपने इन दिनों में किये है उनके दशांश भाग से आहुति देकर हवन करें |

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